नमस्कार दोस्तों, सोयाबीन की खेती कैसे करे ? सोयाबीन जिसे हम गोल्डन बीन्स भी कहते हैं। सोयाबीन की खेती करना वर्तमान में काफी जरुरी हैं और यह आसान भी हैं। सोयाबीन एक ऐसी फसल हैं जो भारत में सबसे ज्यादा बोई जाती हैं। आप शायद यह भी जानते होंगे की इस फसल का सम्बन्ध लेग्यूम परिवार से भी हैं यानी फलियों वाली फसल से हैं।
हमारे इस लेख में आपको इसी के बारे में बताएँगे की आप किस प्रकार से सोयाबीन फसल की बुहाई कर सकते हैं और इस फसल से आप कैसे – कैसे और कितना – कितना मुनाफा कमा सकते हैं। सोयाबीन एक तिलहन की फसल हैं जो भारत में लगभग 18 प्रतिशत तेल के मांग की पूर्ति करती हैं।
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सोयाबीन फसल
यह एक खरीफ फसल हैं और इसे भारत में खरीफ की फसल के समय बोई जाती हैं। यह एक ऐसी लाभदायक फसल हैं जो काफी अच्छा return देती है। सोयाबीन की फसल का इस्तेमाल आटा, जैव ईधन, पशु आहार इतियादी में इस्तेमाल किया जाता हैं।
हम जिस सोयाबीन की बात कर रह हैं उस खेती की उत्त्पति दक्षिण पूर्व एशिया में हुई हैं। इस खेती को सबसे पहले चीनी किसानों ने शुरू की हैं, यह फसल चीन में सबसे पहले 1100 ई।पू में शुरू की थी। इसके बाद इसकी खेती जापान और अन्य देशों में करने लगे। 1870 में इस फसल को काफी ज्यादा जाना जाने लगा और इस फसल का लोगो के बीच में एक फेम भी बना। भारत में इस खेती की शुरुआत 1963 में हुई थी।
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सोयाबीन की खेती
इस फसल को बोने के लिए कई तरह के फैक्टर के बारे में ध्यान रखना जरुरी हैं। इस फसल की पृकृति के आधार पर ही इस फसल की बहाई की जाती हैं। इसके यह निम्न फैक्टर हैं।
जलवायु और मिट्टी
सोयाबीन की फसल एक गरम समय की फसल हैं। इस फसल की बहाई खरीफ सीजन में की जाती हैं। यह फसल रेतीली और हल्की मिट्टी को छोड़कर सभी प्रकार की फसल में बहाई हो सकती हैं। इस फसल की अच्छी पैदावार उसी मिट्टी में सबसे ज्यादा और अच्छी देखी जाती हैं जिस मिट्टी में जल की निकासी अच्छी हो और दोमट मिट्टी हो, इस प्रकार की मिट्टी अच्छी पैदावार देती हैं।
सोयाबीन की फसल के लिए मिट्टी और तापमान
- सोयाबीन की फसल के लिए मिट्टी का ph मान 6।0 से 6।8 के बीच होना चाहिए।
- इस फसल के लिए तापमान 18C से 38C के बीच होना चाहिए।
- जल भराव वाली और खरिय मिट्टी इस प्रकार की फसल के लिए उपयोगी नही हैं।
सोयाबीन खेती की तैयारी
भारत में इस खेती को करने से पहले इन बातों का ख्याल रखना चाहिए और इसकी तैयारी के लिए इन सभी बातों का ख्याल रखना चाहिए –
इस फसल की बहाई ग्रीष्मकालीन समय में ही होनी चाहिए। यह एक ग्रीष्मकालीन फसल हैं। इस खेती के लिए भूमि तैयार करने के लिए सबसे पहले पलाऊ करे फिर उसके बाद कल्टीवेटर करे और उसके बाद रोतावेटर करे।
पलाऊ चलाना : यह एक प्रोसेस हैं जो फसल की बहाई से पहले करते हैं। यह करने से भूमि में उपस्तिथ कीटाणु मर जाते हैं और ख़त्म हो जाते हैं। वही इससे खेत में पहले की फसल में बीज और उसकी कड़प भी टूट जाती हैं। पलाऊ करने से मिट्टी भूरी हो जाती हैं। पलाऊ करने के बाद इस मिट्टी को कम से कम 1 महीने खाली रखना चाहिए ताकि इसे अच्छी धुप मिल सके।
कल्टीवेटर करना : पलाऊ करने के बाद मिट्टी में बड़े बड़े ढले बन जाते हैं, ऐसा मान लो की मिट्टी बंध जाती हैं। कल्टीवेटर करने से मिट्टी समतल हो जाती हैं और मिट्टी पतली भी हो जाती हैं।
रोटावेटर चलाना : सोयाबीन फसल की बहाई करने से पहले एक बार रोटावेटर कर लेना चाहिए। रोटावेटर करने से मिट्टी में बचे पुराणी फसल के अवशेष ख़त्म हो जाते हैं और बहाई आसान हो जाती हैं।
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सोयाबीन फसल के लिए बीज
सोयाबीन की खेती कैसे करे इस फसल की बहाई के लिए बाज़ार में कई तरह के बीज उपलब्ध हैं। सोयाबीन एक ऐसी फसल हैं जिसके लिए हर राज्य की जलवायु के अनुकूल ही बीज का चुनाव करना चाहिए। इसके लिए कुछ उदाहरण आपको बता रहे हैं जैसे –
उत्तराखंड और हिमाचल राज्य में इस फसल की बहाई करने के लिए “ वी एल सोया- 2, वी एल सोया- 47, पूसा- 16, हरा सोया, पालम सोया, पंजाब- 1, पी एस- 1241, पी एस- 1092, पी एस- 1347, शिलाजीत, वी एल एस- 59 और वी एल एस 63 आदि है। ” इस बीज का इस्तेमाल कर सकते है।
इसके अलावा मध्य भारत में अगर आप खेती करते हैं तो उसके लिए इस प्रकार के बीज का चुनाव कर सकते हैं “एन आर सी- 7, एन आर सी- 37, जे एस- 93-05, जे एस- 95-60, जे एस- 335, जे एस- 80-21, समृद्धि, और एम ए यू एस 81 आदि है।”
इसके अलावा और भी कई तरह के बीज हैं जिनका चुनाव आप कर सकते हैं।
सोयाबीन की फसल किस महीने में बोई जाती हैं ?
यह एक गर्मी वाली फसल हैं इसलिए इस फसल की बहाई जून और जुलाई के पहले सप्ताह में बोई जाती हैं। इस फसल की बहाई मौसम के अनुसार होती हैं। किसी राज्य में बरसात पहले आती हैं तो किसी राज्य में बाद में। ऐसे में मौसम के समय का भी इस फसल में काफी असर होता हैं।
1 बीघा में सोयाबीन की बहाई
सोयाबीन एक ऐसी फसल हैं जिसकी बूहाई सीडड्रिल से करनी चाहिए। सोयाबीन फसल की बूहाई प्रति एकड़ में 25 से 30 किलों बीज ही बोने चाहिए, उससे अधिक नही। इसके आधार पर आप बीघा का हिसाब लगा सकते हैं।
सोयाबीन फसल के फायदे
इस फसल के यह फायदे निम्न हैं –
- बारिश के मौसम से इस फसल को फायदा मिलता है। सोयाबीन की फसल को बरसात के समय बोया जाता हैं जिसका सीधा फायदा इस फसल को मिलता हैं।
- इस फसल की बहाई से कटाई तक इसमें कम मेहनत लगती हैं।
- सोयाबीन का भंडारण किया जा सकता हैं यह ख़राब नही होती हैं।
अंतिम शब्द Soyabean Ki Kheti Kaise Kare
इस लेख में आपको सोयाबीन की फसल की बुबाई और फसल के बारे में बताया गया है। उम्मीद हैं की आपको यह लेख पसंद आया होगा।