आलू की खेती कैसे करें? Aalu ki kheti kaise karen

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Aalu ki kheti kaise karen जब हम सब्जी की बात करते हैं तो आलू का भी नाम आता है जो कि अपना एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। आलू का सब्जियों में मिक्स रूप me या एकल रूप में भी उपयोग किया जाता है।

बाजार में लगभग 12 महीने में इसकी बराबर मांग बनी रहती है।

आपको हम इस आर्टिकल में बताएंगे कि Aalu ki kheti kaise karen आलू की बुवाई का समय क्या होता है और इसके अच्छे उत्पादन के लिए हमें क्या करना चाहिए तथा इसके साथ – साथ ही इस में होने वाले नुकसान के बारे में भी हम आपसे बात करेंगे।

Table of Contents

आलू की बुवाई का समय Aalu ki buvai ka samay-

जैसे ही बारिश का मौसम खत्म होता है और धान की कटाई पूर्ण हो जाती है इसके पश्चात किसानों द्वारा खेत में आलू लगाया जाता है।

ज्यादातर किसान मेहनत भी अच्छे करते हैं लेकिन उनको मेहनत के मुकाबले मुनाफा बहुत ही कम होता है किसानों को हमेशा छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखना चाहिए जिसके माध्यम से कि वे अधिक मुनाफा कमा सके।

आलू बोने का समय October - November  से शुरू होता है। नवंबर के महीने में ठंड लगभग शुरू हो जाती है जिसके कारण आलू को हम लगा सकते है।

आलू कौन से महीने में बोया जाता है? Aloo kaun se mahine mein boya jata hai-

आलू की बुवाई लगभग October – November महीने में शुरू हो जाती है क्योंकि यह आलू बुवाई का बहुत ही अच्छा समय होता है इसमें ना तो ज्यादा अधिक ठंड होती है और ना ही अधिक ज्यादा गर्मी होती है।

आलू की बुवाई करने का तरीका Aloo ki buwai karne Ka Tarika

आलू की बुवाई करने से पहले किसान को इस समस्त जानकारी को अच्छी तरह पढ़ लेना चाहिए किसान को सबसे पहले बीज की गुणवत्ता पर ध्यान देना चाहिए।

Aalu ki kheti kaise karen
Aalu ki kheti kaise karen
आलू की बुवाई करने के लिए लगभग 25mm से लेकर 50mm तक आलू का बीज होना चाहिए।

आलू की खेती कैसे करें एक समझदार किसान को कभी भी आलू के बीज को काटकर नहीं बोलना चाहिए क्योंकि आलू के बीज को काटकर बोने से होने वाले अंकुरण के समय यह बहुत ही कम अंकुरित होता है।

यदि आप सीडर मशीन की सहायता से आलू का बीज बोल रहे हैं तो भी आपको आलू के बीज को नहीं काटना चाहिए चाहे से आप बीजों के बीच में गैप जरूर कर सकते हैं।

आलू के बीजों की बुवाई करने से पहले किसान को अपने खेत को अच्छी तरह साफ कर लेना चाहिए।

1 एकड़ में लगभग 10 से 12 कुंटल आलू के बीज लगने चाहिए।

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आलू की फसल की अगेती बुवाई करने से क्या उत्पादन में फर्क पड़ेगा?-

Aalu ki fasal ki ageti buwai karne se utpadan mein kya fark padega- वैसे तो हर चीज का एक निश्चित समय होता है और वह निश्चित समय पर ही अपना प्रभाव दिखाती है लेकिन फिर भी आज के इस वैज्ञानिक युग में सब कुछ संभव है.

यदि आप आलू की फसल का उत्पादन जल्दी चाहते हैं तो आपको बहुत सारी आलू की किस्में मिल जाएगी जिससे कि आप आलू की अगेती बुवाई भी कर सकते हैं।

लेकिन सबसे पहले आपको मौसम का रुख देखना होगा और यदि आप एक संपन्न किसान है तो आप पॉलीहाउस या ग्रीनहाउस का भी निर्माण कर सकते हैं जिसमें आप 12 महीने में किसी भी प्रकार की फसल लगा सकते हैं क्योंकि पॉलीहाउस का एक अलग ही तापमान होता है जिसको आप अपने हिसाब से सेट कर सकते हैं।

आप पॉलीहाउस में आलू की अगेती बुवाई भी कर सकते हैं।

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आलू के खेत में खरपतवार का निवारण कैसे करें?- Aalu ke khet mein kharpatwar ka nivaran kaise karen-

यदि आप के आलू के खेत में बहुत ही अधिक खरपतवार है और आपको उसका निवारण करना है तो आपको कभी भी मशीन की सहायता से खरपतवार को नहीं हटाना चाहिए क्योंकि यदि आप मशीन की सहायता से खरपतवार को हटाएंगे तो मशीन बीजों को चोट पहुंचाएगी जो की फसल के लिए बहुत ही अधिक हानिकारक होगा।

आपको इस खरपतवार को हटाने के लिए मजदूर व्यक्तियों की सहायता लेनी होगी तथा उन के माध्यम से धीरे-धीरे खुरपी के द्वारा खरपतवार को हटाया जाना चाहिए।

आलू की फसल कितने दिनों में तैयार हो जाती है?-

Aalu ki fasal kitne dino mein taiyar Ho jaati hai- आलू की फसल को तैयार होने में लगभग 3 महीने या 90 दिन से लेकर 120 दिन तक लगते हैं। यदि आप आलू की फसल को गर्मियों के दिनों के अंदर बोल रहे हैं तो यह 130 से लेकर 140 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है।

1 एकड़ में आलू का कितना उत्पादन होता है?-

1 एकड़ में लगभग 240 क्विंटल के आसपास आलू का उत्पादन होता है।

आलू का उत्पादन बढ़ाने के लिए क्या करना चाहिए?-

Aalu ka utpadan badhane ke liye kya karna chahie-

आलू का उत्पादन बढ़ाने के लिए किसान को निम्नलिखित जानकारियों का संज्ञान लेना चाहिए।

  1. सबसे पहले किसान को अपने खेत की मिट्टी की गुणवत्ता की जांच करानी चाहिए।
  2. किसान को कभी भी अपने खेत में ज्यादा रसायनिक उर्वरक का छिड़काव नहीं करना चाहिए इसकी जगह किसान को जैविक खाद का उपयोग करना चाहिए।
  3. यदि किसान रासायनिक उर्वरक का उपयोग करता है तो यह मिट्टी की गुणवत्ता को प्रभावित करती है जबकि जैविक खाद मिट्टी की गुणवत्ता को बढ़ाता है।
  4. किसान को समय-समय पर आलू के खेत में उत्पन्न हुई खरपतवार को उखाड़ना चाहिए।
  5. यदि आप अच्छे उत्पादन की आस करते हैं तो आपको अच्छे कृषि विशेषज्ञों से राय लेनी चाहिए।
  6. बीजों का चयन करते समय आपको हमेशा उच्च क्वालिटी के बीजों का ही उपयोग करना चाहिए।
  7. आलू की फसल में कभी भी ज्यादा रासायनिक पदार्थों का उपयोग नहीं करना चाहिए
  8. आलू का उत्पादन बढ़ाने के लिए किसानों को नीदरलैंड की तकनीक का उपयोग करना चाहिए।
  9. आलू का उत्पादन बढ़ाने के लिए किसानों को ड्रिप सिंचाई पद्धति का उपयोग करना चाहिए।
  10. आलू की पैदावार बढ़ाने के लिए आजकल किसान आलू की फसल के ऊपर दारू का छिड़काव कर रहे हैं जिससे की पैदावार में बहुत ही अधिक बढ़ोतरी हो रही है।

आलू की फसल में रासायनिक उर्वरक के क्या दुष्प्रभाव है?-

Aalu ki fasal mein rasayanik urvarak ke kya dusprabhav hai-

आजकल किसान अधिक मुनाफा कमाने के चक्कर में अपनी फसल में ज्यादा रासायनिक उर्वरक का इस्तेमाल कर रहे हैं जिसके कारण खेत की मिट्टी पर इसका दुष्प्रभाव बहुत अधिक पड़ रहा है।

रासायनिक उर्वरक का इस्तेमाल करने से मिट्टी की गुणवत्ता में कमी आ जाती है तथा बार-बार अधिक से अधिक रासायनिक उर्वरक छिड़कने की जरूरत महसूस होती है।

यदि किसान जितना अधिक रासायनिक उर्वरक छिड़ काव करेगा उतना ही अधिक उसके खेत के मिट्टी में नुकसान होगा।

Aalu ki kheti kaise karen किसानों को रासायनिक उर्वरक बहुत ही कम मात्रा में इस्तेमाल करनी चाहिए।

किसानों को रासायनिक उर्वरक की जगह जैविक खाद का उपयोग करना चाहिए जैसे की पैदावार में बढ़ोतरी भी होगी और मिट्टी की गुणवत्ता जैसी की तैसी बनी रहेगी।

आलू के रोग मुक्त बीजों का चयन कैसे करें?-

Aalu ke Rog mukt bijon ka chayan kaise karen-

आपको आलू की बुवाई करने से पहले उसके बीज के बारे में अच्छी तरह जानकारी प्राप्त कर लेनी चाहिए।

हमेशा ही अच्छे व गुणवत्तापूर्ण बीजों का उपयोग करना चाहिए जो की फसल के लिए लाभकारी हो।

आलू की किस्में- Aalu ki kheti kaise karen

   1    E-4486-

यह आलू की बहुत ही उम्दा किस्म होती है जोकि बहुत ही कम समय में पक कर तैयार हो जाती है। इसे तैयार होने में लगभग 140 दिन का समय लगता है।

आलू की इस किस्म को भारत के विभिन्न राज्यों में जैसे उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात इत्यादि में लगाया जाता है।

इस किस्म के आलू बहुत ही अधिक आकर्षित करने वाले होते हैं।

2  PJ 376 (कुफरी अशोक)-

 यह आलू की सबसे अच्छी क्वालिटी की की किस्म है और इसे आलू की सबसे को अगेती फसल में गिना जाता है

इस आलू की फसल को मुख्यतः गंगा नदी वाले क्षेत्रों में उगाया जाता है और इसके कंद सफेद रंग के होते हैं।

आलू की यह किस्म लगभग 80 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है।

 3   कुफरी चंद्रमुखी –

आलू की कुफरी चंद्रमुखी किस्म को सामान्यतः मैदानी क्षेत्रों में उगाया जाता है यह  लगभग 80 से 90 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है। इस किस्म में आलू के कंद अंडाकार व सफेद होते हैं।

कुफरी चंद्रमुखी किस्म से 1 हेक्टेयर में लगभग 250 से 300 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन होता है।

4  कुफरी नवताल G 2524-

 यह आलू की अगेती किस्म है जिसको तैयार होने में लगभग 80 से 85 दिन लगते हैं। आलू की इस किस्म में आलू का कंद बहुत ही अधिक प्रफुल्लित होता है तथा इस किस्म प्रति हेक्टेयर उत्पादन भी बहुत अधिक होता है।

5   कुफरी ज्योति –      

  यह आलू की किस्म उगती हैं और इसको तैयार होने में लगभग 100 से 105 दिन लगते हैं आलू की इस किस्म का प्रति हेक्टेयर उत्पादन 300 से 400 है।

आलू की कुफरी ज्योति किस्म में आलू का कंद अंडाकार व थोड़ा पीले रंग का होता है।

6 कुफरी देवा-

  कुफरी देवा आलू की एक अगेती किस्म है तथा इसको तैयार होने में लगभग 110 से 120 दिन लगते हैं। कुफरी देवा किस्म का एक हेक्टेयर में उत्पादन लगभग 250 से 300 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।

निष्कर्ष- Aalu ki kheti kaise karen

 हमारे द्वारा आपको दी गई आलू की खेती के बारे में जानकारी आपको कैसी लगी यदि अच्छी लगी हो तो कृपया कमेंट बॉक्स में कमेंट करके बताइए।

यदि आपको आलू की खेती से संबंधित किसी भी प्रकार की जानकारी प्राप्त करनी है तो आप हमें कमेंट बॉक्स में कमेंट करिए हम आपके कमेंट का उत्तर देने की पूर्ण कोशिश करेंगे और यदि आप हमें सुझाव देने चाहे तो हम आपके सुझाव का भी स्वागत करते हैं।

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